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वाह ये ईश्वर! तेरे बंदे -16-Aug-2022

कविता-वाह रे!ईश्वर तेरे बंदे
गजब बनाया है जग को तु
गजब है भगवान तेरे लोग
शाम सुबह खूब पूजा अर्चन
खूब लगाए छप्पन भोग
 एक सज्जन से मिला सवेरे 
 सीधे साधे भोले भाले 
 मुझे देखकर हुए अचंभित 
 ठहर गए फिर मुझसे बोले 
नाम तेरा क्या ?प्यारे बच्चे 
लगते हो तुम अच्छे घर के
मैंने उनको नाम बताया 
पर उनको विश्वास ना आया 
फिर नजर पड़ी गर्दन पर मेरे 
कुछ सोच रहे थे धीरे-धीरे 
पड़ा गले में जो लटक रहा था
बद्दी या ताबीज शायद परख रहा था
जब परख सका ना तब मुझे बुलाया 
जान सकूं हूं कौन? सरेआम नंगा करवाया
शायद उसे संतोष नहीं था 
संदेह उसे कुछ और कोई था 
अंत समय वह मारा मुझको 
देख रहा था मेरे मुख को 
राम कहूं तो बंद रहेगा 
कहूं जो अल्लाह खुला रहेगा 
वाह रे! ईश्वर तेरे बंदे 
जाति धर्म में बने हैं अंधे |

रचनाकार- रामवृक्ष, अम्बेडकरनगर
         

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11 Comments

Pankaj Pandey

19-Aug-2022 09:25 AM

Very nice

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shweta soni

18-Aug-2022 12:12 PM

Bahut achhi rachana

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Khan

17-Aug-2022 10:45 PM

Nice

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